श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ समारोह, जो कि 15 से 21 अप्रैल तक आयोजित किया जा रहा है

श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ समारोह, जो कि 15 से 21 अप्रैल तक पूरी के श्रीस्वामीनारायण मुख्य मन्दिर, कोणार्क-पूरी मेरीन ड्राइव रोड स्थित प्रांगण में आयोजित होने वाला है, में गोपालन, गोसंवर्धन, गोविज्ञान, गो अर्थशास्त्र आधारित मार्गदर्शन एवं श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण-कीर्तन में सम्मिलित होना चाहते हैं, उन्हें ट्रेन टिकट या हवाई जहाज़ टिकट बुकिंग के लिए निम्नलिखित एजेन्सियों से संपर्क करना चाहिए:

  • पन्चगव्य दवाईयां आधारित चिकित्सा पद्धति पर विषेश सत्र रहेगा.
  • गौ माता - भारत माता एवं समूचे विश्व की धरोहर कैसे बने ?
  • गौमाता को उसका वास्तविक अधिकार कैसे मिले?
  • गौशालाओं का संचालन कैसे हो?
  • गौशालाओं को सरकारी सहायता, अनुदान - कैसे मिले?
  • गो-अभ्यारण्य क्या है?
  • गोमाता को हरा चारा भरपूर मात्रा मे कैसे मिले एवं गोचर भुमी कैसे विकसित और सरच्छिंत हो?

कार्यक्रम में भाग लेने के लिए फॉर्म भरें

आईये हम सब मिल कर गाय माता के लिए संकल्प लें

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पहला सत्र:

सुबह 9 से 11 बजे तक

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दूसरा सत्र:

दोपहर 11:30 से 1:30 बजे तक

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तारीख:

15 अप्रैल से 20 अप्रैल तक

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कार्यक्रम में भाग लेने के लिए संपर्क करें:

ट्रेन टिकट के लिए सुभाष जी: 9831017824 हवाई जहाज़ टिकट के लिए अभिषेक जी: 9983942062 पंजीकरण के लिए: 9230535952 हमें भुगतान के लिए Gpay /Phone Pay नंबर: 8320245961 इस अवसर पर गोप्रेमी, गोपालक, गोभक्त और भगवत भक्त सभी मिलकर समाज के लिए एक उपयोगी कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, जिसमें गो संरक्षण, गो विज्ञान, गो अर्थशास्त्र आधारित मार्गदर्शन दिया जाएगा और श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण-कीर्तन में भी

रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ समारोह:

इस सप्ताह ज्ञान यज्ञ समारोह में गोमाता के महत्व एवं संरक्षण के बारे में भी चर्चा की जाएगी। इस समारोह में संस्कृति एवं धर्म के महत्वपूर्ण संदेशों का भी विस्तार से विचार किया जाएगा। यज्ञ समारोह के दौरान श्रीस्वामीनारायण मुख्य मंदिर में रहने के लिए भी आप आवंटित रूम बुक करवा सकते हैं। आप इस समारोह में शामिल होकर अपने जीवन में एक नई ऊर्जा एवं ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इस सप्ताह के दौरान पूरी शहर में बड़ी संख्या में भक्तों का आगमन होगा, इसलिए आपको अपनी यात्रा के लिए अगले सप्ताह से पहले ही बुकिंग करवा लेनी चाहिए। यह समारोह भारतीय संस्कृति एवं धर्म को समर्पित है और आपको इसमें शामिल होने से बहुत सारा आनंद एवं ज्ञान प्राप्त होगा।

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हम सभी गोप्रेमियों का स्वागत करते हैं:

इस अवसर पर गोप्रेमी, गोपालक, गोभक्त और भगवत भक्त सभी मिलकर समाज के लिए एक उपयोगी कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, जिसमें गो संरक्षण, गो विज्ञान, गो अर्थशास्त्र आधारित मार्गदर्शन दिया जाएगा और श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण-कीर्तन में कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक लोगों को उपरोक्त संपर्क विवरण का उपयोग करना चाहिए। गोपालन, गोसंवर्धन, गोविज्ञान और गो अर्थशास्त्र आधारित मार्गदर्शन के साथ-साथ श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण-कीर्तन में भाग लेने से आप अपनी आत्मिक शांति बढ़ा सकते हैं और अपने जीवन में आनंद और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

देशी गाय के उत्पादों का निर्माण:

देशी गाय के उत्पादों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है जो बहुत सारे लोगों को रोजगार का मौका प्रदान करता है। इससे लोग अधिक महंगे उत्पादों से बचते हैं और उन्हें उत्पादों के लिए कम पैसे खर्च करने की व्यवस्था होती है। देशी गाय के उत्पादों का उपयोग करके अधिक आय कमाई जा सकती है। इन उत्पादों का विपणन करने से अधिक लोगों को रोजगार का मौका प्रदान किया जा सकता है और उन्हें उनके परिवारों का पालन-पोषण करने में मदद मिल सकती है।

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भारत की अर्थव्यवस्था में देशी गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध, दही, घी ईत्यादि का उपयोग

भारत की अर्थव्यवस्था में देशी गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध, दही, घी ईत्यादि पन्चगव्यों एवं आयुर्वैदिक जड़ी-बूटियों के आधार पर नई ऊंचाइयों पर ले जाना संभव है। देशी गाय हमारी संस्कृति एवं जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण अंग है। गोमूत्र और गोबर के अलावा, देशी गाय से निकलने वाले दूध, दही और घी भी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। आयुर्वैदिक जड़ी-बूटियों का उपयोग भी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल दवाओं के रूप में होता है, जो विभिन्न बीमारियों के इलाज में मददगार होते हैं। इन जड़ी-बूटियों के विकास एवं उत्पादन में भी अधिकतर लोगों को रोजगार का मौका मिलता है। देशी गाय से मिलने वाले उत्पादों का उपयोग अधिकतर लोगों द्वारा किया जाता है जो इन उत्पादों को अपनी दैनिक जीवनशैली का हिस्सा मानते हैं। गोबर और गोमूत्र के उपयोग से लगभग सभी क्षेत्रों में उत्पादों का निर्माण किया जाता है, जैसे कि इंडस्ट्री, गृह उद्योग आदि। इन उत्पादों की व्यापक उपलब्धता भी उन्हें लोगों के पास पहुंचने में मददगार होती है और लोगों को अधिक विकल्पों के साथ अधिक महंगे उत्पादों से बचने में मदद मिलती है।
देशी गाय के उत्पादों का विपणन करने से न केवल देश की अर्थव्यवस्था में उन्नति होती है बल्कि देश के लोगों के स्वास्थ्य को भी सुधारा जा सकता है। आयुर्वेद में देशी गाय के उत्पादों का बहुत महत्व होता है। इन उत्पादों का उपयोग करने से लोग बीमारियों से बच सकते हैं और इन उत्पादों से निर्मित औषधियों से उनकी दवाइयों के खर्च में भी कमी आ सकती है। देशी गाय के उत्पादों का उपयोग करने से जल भंडारण की समस्या भी कम हो सकती है। गोमूत्र के उपयोग से बहुत सारे उत्पाद बनते हैं, जिनसे न केवल लोगों को फायदा होता है बल्कि पौधों को भी पोषण मिलता है। इससे पौधों की वृद्धि होती है जो उनके ऑक्सीजन उत्पादन में मददगार होती है और इससे वायु प्रदूषण की समस्या भी कम हो सकती है।

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इस अवसर पर गोप्रेमी, गोपालक, गोभक्त और भगवत भक्त सभी मिलकर समाज के लिए एक उपयोगी कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, जिसमें गो संरक्षण, गो विज्ञान, गो अर्थशास्त्र आधारित मार्गदर्शन दिया जाएगा और श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण-कीर्तन में कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक लोगों को उपरोक्त संपर्क विवरण का उपयोग करना चाहिए। गोपालन, गोसंवर्धन, गोविज्ञान और गो अर्थशास्त्र आधारित मार्गदर्शन के साथ-साथ श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण-कीर्तन में भाग लेने से आप अपनी आत्मिक शांति बढ़ा सकते हैं और अपने जीवन में आनंद और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

1. श्री सूरजमालसिंहजी निमराणा, बिकानेर से. 2. निर्मलजी बराड़ीया, बिकानेर से. 3. धनन्जय सिथे, मुम्बई से. 4. डाक्टर ज्ञानेन्द्र प्रकाश, वसुन्धरा, गाजियाबाद से. 5. नीरज चौधरी, काशीपुुर, उत्तराखण्ड से. 6. रोहित भाई रावल, अहमदाबाद से. 7. गोपाल भाई सुत्तारिया, सस्थांपक - बशीं गिर गोशाला, अहमदाबाद से. 8. भगत सिन्ग पुरोहित, अहमदाबाद से. 9. आनन्द नानावती, महाराष्ट्र से. 10. अभय सिगं जी, जलगांव, महाराष्ट्र से. 11. सान्तनु कुमार जी, चेन्नई से

(i) A1 जीनोटाइप दूध देने वाली / जर्सी, होलेस्टीन, दोगली vrs. A2 जीनोटाइप दूध देनेवाली / गिर, साहीवाल, थारपारकर, रेड सिन्धी, राठी, कान्करेेज, हरीयाणवी ईत्यादि दूधारू नस्ल की देशी गायों का तुलनात्मक अध्ययन. (ii) वैज्ञानिक अनुसंधानों के आधार पर - दूधारू नस्ल की देशी गायों के सम्बर्धन में नन्दी महाराज (सान्ड) की भुमिका के महत्व को समझना एवं नन्दीशालाओं का शुभारंभ करवाना ? (iii) गोपालन के क्षेत्र में गोचर की भुमिका, हरे घास की different varieties का तुलनात्मक अध्ययन ? गोचर का सरंक्षण एवं विकास, नए गोचर भुमी का विकास कैसे किया जाए - ईत्यादि विषयों पर special attention दिया जाएगा. (iv) A2 दूध, छाछ, मक्खन, बिलोना घी, आयुर्वैदिक जड़ी - बुंटीयां, हर्बल एवं पन्चगव्य (देशी गाय का दूूध, दही, घी, गोबर रस एवं गोमूत्र) आधारित उत्पादों के मिश्रण से निर्मित दवाईयां, ओर्गानिक फार्म यिल्ड बुस्टर (Organic Farm Yield Boostar), किट नियन्त्रक औषधीयां, ओर्गानिक फ़ूड सप्लीमेंटस (Organic Food Supplements) ईत्यादि उत्पादों से मानव स्वास्थ्य, गोवशं स्वास्थ्य एवं प्रकृति - पर्यावरण की सुरक्षा जैसे - विषयों पर भी वक्ताओं का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। (v) गो आधारित अर्थ व्यवस्था को develop करने के तरीकों को कार्यान्वित करने के उपायों पर चर्चा ? आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने के लिए- गो आधारित अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने के उपायों पर मार्गदर्शन प्राप्त होगा. (vi) प्राकृतिक कृषि, गोबर एवं घास के मीश्रण से गैस / CBG (Compressed Bio Gas), Liquid Slurry (ओर्गानिक खाद), रसायन मुक्त खेती-बाडी, गोकाष्ठ, धूपबत्ती, गोबर के दिये, एन्टी रेडियेशन मोबाइल चीप, डेकोरेटीब घडीयां, गोबर की चप्पल, गोबर के मनकों की माला, गोबर के गमले, साम्बरानी कप ईत्यादि उत्पादकों के लिए मार्केटिंग नेटवर्क / infrastructure create करने के लिए- challenge को accept करना. (vii). कन्सट्रकसन segment की market potentially को explore करने के लिए - वैदिक प्लास्टर, गोबर की ईंट, फ्लोर एवं वाल टाईल्स, गोबर पेन्ट ईत्यादि उत्पादों को प्रोमोट करना चाहिए. (viii) गोमूत्र अर्क, कीट नियन्त्रक, पन्चगव्य धूूप, नश्य घॄतम, साबुन, शैम्पू ईत्यादि बनाने एवं इनकी मार्केटिंग करने की techniqe - जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी :- (ix) पन्चगव्य दवाईयां आधारित चिकित्सा पद्धति पर विषेश सत्र रहेगा. (x) गोमय (गोबर) से बनाई जाने वाली कलाकृतियां का प्रशिक्षण (practical training) शिविर रहेगा. (xi). गौ माता - भारत माता एवं समूचे विश्व की धरोहर कैसे बने ? (xii) गौमाता को उसका वास्तविक अधिकार कैसे मिले ? (xiii). गौशालाओं का संचालन कैसे हो ? (xiv). गौशालाओं को सरकारी सहायता, अनुदान - कैसे मिले ? (xv). विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा गौशालाओं को मिलने वाली आर्थिक सहायता के विषय में जानकारी - उपलब्ध करवाई जाएगी। (xvi) उत्कृष्ट जैविक खाद के उत्पादन को बढावा देकर - जैविक कृषि आधारित उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देना एवं मार्केटिंग की technique का इस्तेमाल करते हुए - उचित मुल्यों पर गोभक्तों के घर तक पन्चगव्य आधारित "ओर्गानिक उत्पादों" को पहुंचाना। (xvii). गाय के गोबर गोमूत्र का उपयोग अधिक से अधिक कैसे किया जाए, जीरो बजट प्राकृतिक खेती एवं गोपालन कैसे हो - ईत्यादि विषयों को cover किया जाएगा। (xviii). गोमाता को हरा चारा भरपूर मात्रा मे कैसे मिले एवं गोचर भुमी कैसे विकसित और सरच्छिंत हो ? (xix). गो-अभ्यारण्य क्या है. (xx). राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर के संगठनों की जरूरतों को देखते हुए - planning करना एवं implementation कै लिए steps लेना.

कार्यक्रम का स्थान:

रीस्वामीनारायण मुख्य मन्दिर

प्रागंण कोणार्क-पूरी

मेरीन ड्राइव रोड़, पूरी, ओडिशा

फ़ोन: 9230535952, 8320245961